Sunday, July 18, 2010

यूँ ही तुम्हे

तुम एक पंछी बन जाओ
और मैं गगन तुम्हारा

बिखर जाओ
मेरे हर एक छोर पर

और मैं देखता रहूँ
यूँ ही तुम्हे

कभी धूप
कभी शाम
तो कभी चाँद बनते हुए

3 comments:

  1. तुम एक पंछी बन जाओ
    और मैं गगन तुम्हारा

    गहरी कल्पना, अस्तित्व का विस्तार समेटे हुये।

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  2. कोई टीका नहीं लिखी जा सकती। सिर्फ महसूस की जा सकती है।

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  3. Just marvelous and heart touching. Plz download my Hindi to english dioctionary from my blog www.sheelgupta.blogspot.com

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